जानें

बोधकथा शोध संस्थान के मूल में जो बात है वह मात्र यही है कि मनुष्य होने के क्रम में बोध कथाएं ही प्राचीनतम् विधा हैं जिससे सीखने और सिखाने की कला का सूत्रपात हुआ। इसे भगवान बुद्ध ने बोधगम्य बनाकर मनुष्य होने की शिक्षा दी।

बाद में विष्णु शर्मा ने इसी विधा से राजा के पुत्रों को पंचतन्त्र की शिक्षा दी। अब वही विधा विद्यार्थियों से… के माध्यम से आपके सम्मुख है। इस परंपरा को आगे बढ़ाने का दायित्व अब आपका है इसी विश्वास के साथ…।

snsingh

अध्यक्ष
शिव नारायण सिंह
बोधकथा शोध संस्थान
शिवलोक,गोरखपुर उ.प्र.

snsingh

निदेशक
शिवांश सिंह
बोधकथा शोध संस्थान
शिवलोक,गोरखपुर उ.प्र.